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ब्रह्मचारिणी | Brahamcharini…

ब्रह्मचारिणी | Brahamcharini

वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
जपमाला कमण्डलु धरा ब्रह्मचारिणी शुभाम्॥
गौरवर्णा स्वाधिष्ठानस्थिता द्वितीय दुर्गा त्रिनेत्राम्।
धवल परिधाना ब्रह्मरूपा पुष्पालङ्कार भूषिताम्॥
परम वन्दना पल्लवाधरां कान्त कपोला पीन।
पयोधराम् कमनीया लावणयं स्मेरमुखी निम्ननाभि नितम्बनीम्॥

दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू ।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा ॥

नवदुर्गाओं में दुर्गा का द्वितीय रूप ब्रह्मचारिणी का है सफेद वस्त्र में लिपटी हुई, एक हाथ में अष्टदल की माला और दूसरे हाथ में कमंडल द किए हुए हैं, तप का आचरण करने के कारण इन्हें ब्रह्मचारिणी कहा जाता है, यह अक्षयमाला और कमंडलधारिणी स्वरूपा देवी ब्रह्मचारिणी शास्त्रों के ज्ञान एवं आदि विद्याओं की ज्ञाता हैं, इनकी उपासना करने से भक्तों को तप, त्याग, सदाचार, वैराग्य तथा संयम की प्राप्ति होती है.

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